हाइलाइट्स
दुनिया में बहुत ही कम स्पेस प्लेन हैं.
इनमें विमान और अंतरिक्ष यान दोनों की क्षमताएं होती हैं.
इन दिनों इन पर बहुत गहनता से प्रयोग चल रहे हैं.
\इन दिनों से स्पेस प्लेन सुर्खियों में हैं. अमेरिका में एक ऐसे ही विमान का प्रक्षेपण टल गया था. वहीं चीन ने भी हाल ही में अपने एक सीक्रेट स्पेस प्लेन अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया है. आखिर ये स्पेस प्लेन क्या होता हैं ये समान्य विमानों से कितने अलग होते हैं. गौर करने वाली बात यही है कि इस तरह के विमान एक तो बहुत ही कम हैं और जिनके के बारे में जानकारी है वह बहुत ही कम हैं यानी कि गुप्त हैं. आइए जानते हैं कि ये स्पेस प्लेन इतने गोपनीय क्यों होते हैं और दुनिया की महाशक्तियां इनकी क्षमताएं बढ़ाने के पीछे क्यों पड़ी हुई हैं.
क्या होते हैं स्पेस प्लेन
स्पेस प्लेन यानी जिन्हें हम अंतरिक्ष विमान भी कह सकते हैं, ऐसे यान होते हैं जो ना केवल पृथ्वी के वायुमंडल में उड़ सकते हैं, बल्कि जरूरत पड़ने पर बाहरी अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यान की तरह भी उड़ान भर सकते हैं. कुल मिला कर ये अंतरिक्ष में उड़ सकने वाले विमान होते हैं. इस तरह अंतरिक्ष विमानों में, एक विमान और अंतरिक्ष यान दोनों की क्षमताएं होती हैं.
अंतरिक्ष में जाना और लौटना
अभी तक दुनिया में जितने भी अंतरिक्ष विमान बनाए गए हैं उन्हें रॉकेट के जरिए ही अंतरिक्ष में पहुंचाया गया है और उसके बाद उन पर तरह तरह के प्रयोग किए हैं. रॉकेट इन्हें पृथ्वी की सतह से निर्धारित कक्षा में पहुंचाता है और वहां से ये उड़ान भरते हैं लेकिन खुद ही अपनी क्षमताओं का उपयोग कर धरती पर वापस आकर ग्लाइडर की तरह लैंडिंग करते हैं.
कितने तरह के अंतरिक्ष विमान
अभी तक दुनिया में केवल चार ही प्रकार के स्पेस प्लेन सफलतापूर्व कक्षा में पहुंचाए जा चुके हैं, पृथ्वी के वायुमंडल में पुनःप्रवेश कर धरती पर लैंडिंग कर चुके हैं. इनमें से दो अमरिका के स्पेस शटल और एक्स37 हैं जबकि एक रूप का बुरान और एक चीन का सीएसएसएचक्यू है. वहीं अमेरिका एक ड्रीम चेजर नाम का एक अन्य स्पेस प्लेन का भी विकास कर रहा है.
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अमेरिका है सबसे आगे
इस तरह के विमानों के विकास में अमेरिका सबसे अग्रणी रहा है. अमेरिका के अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत से ही एक्स प्लेन की अवधारणा चल रही है और तभी ऐसे विमानों के मॉडल अंतरिक्ष केलिए परखे जा रहे हैं. हरएक्स प्लेन रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल भी होता है यानी कि ये बार बार अंतरिक्ष की कक्षा में पहुंचाए जा सकते हैं. स्पेस शटल इसकी सबसे अच्छी मिसाल है.
हलके और कम लागत के
एक्स सीरीज के अंतरिक्ष विमानों को हलके वजन का रखने का प्रयास किया जाता है साथ ही यह कोशिश भी की जाती है कि इनकी प्रक्षेपण की लागत कम से कम रहे. जहां व्यसायिक अंतरिक्ष यात्रा में एक पाउंड (0.45 किलो) को अंतरिक्ष में पहुंचाने का खर्चा करीब दस हजार डॉलर आए तो उसके अनुपान मे स्पेस प्लेन इस खर्चे को एक हजार डॉलर प्रति पाउंड कम कर सकते हैं.
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पृथ्वी में प्रवेश की चुनौती
स्पेस प्लेन ज्यादातर अंतरिक्ष में काम करते हैं लेकिन उनमें पृथ्वी के वायुमंडल में उड़ने की क्षमता भी बहुत जरूरी होती है क्योंकि उन्हें यहां वापस भी आना होता है. इसी वजह से उनके निर्माण में कई तरह की जटिलताएं आ जाती हैं. क्यों अंतरिक्ष से वापस पृथ्वी के वायुमंडल में आना एक बहुत ही कठिन और चुनौती भरा काम है. इस दौरान बहुत ही ज्यादा घर्षण होता है जिससे सलैटेलाइट, उल्कापिंड आदि जल कर खत्म हो जाते हैं.
चाहे अमेरिका को या चीन सभी देश स्पेस प्लेन तकनीक को गोपनीय रखना चाहते हैं. इसकी वजह शीत युद्ध के दौरान इस तरह के विमान की निगरानी क्षमता थी और इस तरह के विमान का युद्ध में भी बढ़िया और सुरक्षित उपयोग हो सकता है. वास्तव में ये विमान सेना की ही देखरेख में होते हैं. अभी अमेरिका का X37b पिछली उड़ान में 909 दिन तक अंतरिक्ष में रहा था. चीन ने पिछली यानी दूसरी उड़ान में अपने अंतरिक्ष विमान को 276 तक अंतरिक्ष में रखा था.
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Tags: Nasa, Science, Space, USA
FIRST PUBLISHED : December 16, 2023, 15:48 IST
