India-Pakistan War 1971: भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 में बैटल ऑफ चाचरो ही वह निर्णायक लड़ाई थी, जिसने दुश्मन की कमर तोड़कर पाकिस्तानी सेना को शर्मनाक हार के लिए मजबूर कर दिया था. दरअसल, पूर्वी पाकिस्तान में भारतीय सेना के हस्तक्षेप से बौखलाए पश्चिमी पाकिस्तान ने पहले भारत की एयर फील्ड पर बमबारी की, फिर राजस्थान बार्डर के लोंगेवाला पोस्ट पर हमला बोल दिया.
इसी के साथ, पाकिस्तान ने एक अन्य मोर्चा पठानकोट की तरफ खोलने की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सेना ने शकरगढ़ पर हमला कर पाकिस्तानी सेना के मंसूबों पर पानी फेर दिया था. इन हमलों के साथ पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ युद्ध का आगाज कर दिया था. राजस्थान के लोंगेवाला पोस्ट और शकरगढ़ मोर्चे पर कमजोर हो रही पाकिस्तानी सेना ने अपनी स्थिति मजबूत करने के इरादे से बाड़मेर की तरफ से हमला कर नया मोर्चा खोल दिया.
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पाकिस्तान में 50 किमी अंदर जाकर भारतीय सेना को करना था हमला
इन तीनों मोर्चों पर पाकिस्तानी सेना दोगुनी ताकत के साथ जंग के मैदान में सामने आई थी. बावजूद इसके उसको मुंह की ही खानी पड़ रही थी. इधर, पाक सेना को सबक सिखाने के लिए भारतीय सेना ने एक रणनीत तैयार की. रणनीति के तहत, भारतीय सेना को भसीमा से 50 किलोमीटर दूर स्थिति सिंध प्रांत के चाचरो पर कब्जा करना था. पाकिस्तानी सेना के लिए सामरिक दृष्टि से चाचरो बेहद महत्वपूर्ण था.
दरअसल, युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना को चाचारो से ही सैन्य और रसद की मदद भेजी जा रही थी. भारतीय सेना चाचरो पर कब्जा कर पाकिस्तानी सेना की सप्लाई चेन काटना चाहती थी. भारतीय सेना को पता था कि चाचरो पर कब्जा होते ही पाकिस्तानी सेना को सैन्य और रसद की मदद मिलना बंद हो जाएगी और उसकी ताकत मिनट दर मिनट कम होती जाएगी. ऐसी स्थिति में, पाकिस्तान सेना का युद्ध में टिकना लगभग असंभव जैसा हो जाएगा.
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10 पैरा कमांडो ने ली चाचरो पर कब्जे की जिम्मेदारी
सामरिक महत्ता को देखते हुए पाकिस्तान ने चाचरो को लगभग अभेद्य किले में तब्दील कर दिया था. असंभव से दिख रहे इस ऑपरेशन को पूरा करने की जिम्मेदारी भारतीय सेना की 10 पैरा कमांडो बटालियन को दी गई. रणनीति के तहत 10 पैरा कमांडो की दो टीमों 5 दिसंबर की रात अगल अगल दिशाओं से चाचर के लिए रवाना हो गईं. ये दोनों टीमें 6 दिसंबर को देर रात तक चाचर के करीब तक पहुंचने में सफल हो गईं थीं.
10 पैरा कमांडो की दोनों टीमें चाचरो से करीब छह किलोमीटर पहले अपना अस्थाई बेस कमांड बनाया. दुश्मन की तैयारी, सेना की तैनाती और संभावित रास्तों की तलाश के लिए पैरा कमांडो की एक टीम को रेकी के लिए भेजा गया. रेकी में सामने आई जानकारी के अनुरूप नए सिरे से रणनीति तैयार की गई. योजना के तहत, 10 पैरा कमांडो की टीम ने 7 दिसंबर की सुबह करीब 4 बजे ने अपना पहला हमला बोल दिया.
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दुश्मन को नहीं मिला संभलने का भी मौका
भारतीय सेना का यह हमला इतना शक्तिशाली था कि दुश्मन को संभलने का मौका भी नहीं मिला. इस हमले में पाकिस्तानी सेना के सैनिक बड़ी तादाद में मारे गए, जो बचे वह पीठ दिखाकर भागने के लिए मजबूर हो गए. इस तरह, भारतीय सेना के चंद जांबाजो ने देखते ही देखते पाकिस्तानी सेना के सैकड़ों सैनिकों को उनके अंजाम तक पहुंचाकर चाचरो पर भारतीय परचम फरा दिया. वहीं, चाचरो पर भारतीय सेना के कब्जे के साथ पाकिस्तानी सेना कमजोर होती गई और अंत: उसे घुटने टेकने के लिए मजबूर होना पड़ा.
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FIRST PUBLISHED : December 16, 2023, 02:44 IST
