नई दिल्ली. देश में इस समय संसद की सुरक्षा में चूक का मामला चारों तरफ गूंज रहा है. गृह मंत्रालय ने जांच के लिए सीआरपीएफ डीजी के नेतृत्व में एक समिति का गठन कर दिया है, जो 20 दिनों के अंदर जांच रिपोर्ट दाखिल करेगी. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल संसद की सुरक्षा में चूक मामले की जांच कर रही है. इस मामले में अब तक छह आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. पांच आरोपी को गुरुवार को ही पटियाला कोर्ट ने 7 दिनों की पुलिस रिमांड दी है. वहीं, छठे आरोपी को दिल्ली पुलिस आज कोर्ट में पेश कर रिमांड मांगेगी. देश की सारी जांच एजेंसियां इस घटना से जुड़े तार खंगालने में लग गई है. अभी तक कुछ विशेष जानकारी निकल कर सामने नहीं आई है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर पुलिस सभी आरोपी से कैसे जानकारी हासिल करे? संसद के अंदर आरजकता किस मकसद से फैलाई? क्या पुलिस या जांच एजेंसियां अब ‘थर्ड डिग्री’ थ्योरी का इस्तेमाल करेगी?
हालांकि, पुलिस द्वारा उपयोग में लाए गए इस तरह के सभी तरीके विवादास्पद और अवैध होते हैं. किसी भी गिरफ्तार व्यक्ति या हिरासत में लिए शख्स को शारीरिक या मनोवैज्ञानिक तरीकों से किसी बात को कबूल करवाना, यातना देना, बंदी के साथ हिंसा और जबरदस्ती करना मानवाधिकारों और कानूनी सिद्धांतों का उल्लंघन माना गया है.

‘थर्ड डिग्री’ का मतलब होता है कि पुलिस द्वारा उपयोग की जाने वाली शारीरिक क्रूरता और पूछताछ के दौरान पुलिस अधिकारी द्वारा दुर्व्यवहार
पुलिस क्यों करती है थर्ड डिग्री का इस्तेमाल
‘थर्ड डिग्री’ का मतलब होता है कि पुलिस द्वारा उपयोग की जाने वाली शारीरिक क्रूरता और पूछताछ के दौरान पुलिस अधिकारी द्वारा दुर्व्यवहार, मनोवैज्ञानिक दबाव, नींद की कमी यानी सोने नहीं देना जैसा दुर्व्यवहार शामिल होता है. हालिया कुछ घटनाओं और कोर्ट की सख्त टिप्पणी से स्पष्ट है कि पुलिस द्वारा थर्ड डिग्री का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है.
क्या कहते हैं कानून के जानकार
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रविशंकर कुमार कहते हैं, ‘कानून और प्रवर्तन एजेंसियों से इसका पालन करने की अपेक्षा की जाती है. व्यक्तियों के अधिकारों और जांच के तरीके कानून के शासन को कायम रखते हुए हिरासत लिए गए व्यक्ति से पूछताछ करनी चाहिए. पुलिस कदाचार का कोई आरोप या थर्ड डिग्री के उपयोग की भी गहनता से जांच की जानी चाहिए. अदालत ट्रायल के दौरान आरोपी शख्स से पूछती है कि पुलिस रिमांड के दौरान उसके साथ किसी तरह का व्यवहार हुआ. हाल के दिनों कुछ ऐसे घटनाएं हुई हैं, जैसे आंतकीवादी हमले, देश द्रोह और कथित फर्जी पुलिस मुठभेड़ की घटनाओं में गिरफ्तार शख्स के रिश्तेदार भयभीत हो जाते हैं. देश में पुलिस स्टेशन में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों को देखते हुए एक गाइडलाइन भी जारी की गई है, जिसे पुलिस अधिकारी को मानना अनिवार्य है.’

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दो और लोगों को हिरासत में लिया. (सांकेतिक तस्वीर)
थर्ड डिग्री इस्तेमाल में होने वाले तरीके
शारीरिक दुर्व्यवहार
बंदी के साथ शारीरिक दुर्व्यवहार जैसे पिटाई, थप्पड़ मारना, मुक्का मारना, लात मारना, नाखून निकालना या अन्य प्रकार की शारीरिक हिंसा शामिल है. इसके साथ ही संवेदनशील जगहों पर बिजली के झटके का उपयोग करना, अपराधी बंदी की त्वचा को जलाने या झुलसाने के लिए गर्म वस्तुओं, गर्म पानी या रसायनों का उपयोग करना, जानकारी निकालने के लिए दम घुटने से जुड़ी तकनीकों का जैसे सिर पर प्लास्टिक की थैली डालना या हाथों या वस्तुओं का उपयोग करके गला घोंटना भी शारीरिक दुर्व्यवहार की श्रेणी में आता है. किसी व्यक्ति को लंबे समय तक जगाए रखना, बंदी की इच्छा को तोड़ना, धमकाना और मानसिक शोषण करना भी शामिल है.
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यौन शोषण करना, बंदियों को यह विश्वास दिलाना कि जानकारी नहीं देने पर फांसी दी जाने वाली है भी मानसिक शोषण में शामिल है. इसके अलावा भी कैदी को एकांत कारावास में रखना, पूर्ण अंधेरे में रखना, झूठे बयान दिलवाना, भ्रामक आचरण करना शामिल होता है. कैदियों को बुनियादी जरूरतों से इनकार करना जैसे भोजन, पानी, चिकित्सा देखभाल या बाथरूम सुविधाओं तक पहुंच से वंचित रखना भी थर्ड डिग्री में शामिल है. उल्टा लटकाना, उचित कानूनी प्रक्रियाओं जैसे वकील तक पहुंच या समय पर अदालत में उपस्थिति के बिना लंबे समय तक हिरासत में रखना, हथकड़ी या बेड़ी जैसे शारीरिक प्रतिबंधों का उपयोग करना, वॉटरबोर्डिंग यानी बंदी के चेहरे पर एक कपड़ा रख कर पानी डालना या पानी में डूबाना लेना भी प्रतिंबध है. बंदियों को जबरन नंगा करना भी थर्ड डिग्री में माना जाता है.
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Tags: Criminal Laws, Delhi Police Special Cell, Human Rights Commission, Prisoners
FIRST PUBLISHED : December 15, 2023, 16:17 IST
