चंद्रमा पर बुनियादी ढांचा एक कल्पना से आगे की बात हो चुकी है. दुनिया में अरबों डॉलर चंद्रमा पर इंसान को बसाने की क्षमता पैदा करने वाले शोधों पर खर्च हो रहे हैं. हाल ही में अगली पीढ़ी के अनुप्रयोग विकसित करने वाली अमेरिकी कंपनी, हनीबी रोबोटिक्स ने डिफेंस एडवांस रिसर्च प्रोजोक्ट एजेंसी, डारपा को इससे संबंधित एक प्रस्ताव दिया है जिसे लूना-10 लनाम के दस साल के लूनार आर्किटेक्चर के लिए चुन वैचारिक स्तर पर चुन लिया गया है. इस प्रस्ताव में चंद्रमा पर एक बहुत लंबा लाइट हाउस बनाने की योजना है जो चंद्रमा की अर्थव्यवस्था में एक अहम बुनियादी ढांचा साबित हो सकते हैं.
और भी हो सकेंगे उपयोग
लाइटहाउस की योजना को लूनारसेबर कहा जा रहा है जो कि लूनार यूटिलिटी नेवीगेशन विद एडवांस्ड रिमोट सेंसिंग एंड ऑटोनोमस बीमिंग फॉर एनर्जी, रीडिस्ट्रीब्यूशन का छोटा रूप है. यह करीब 100 मीटर लंबा टॉवर होगा जिसके शीर्ष पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे जो ऊर्जा भंडारण, वितरण, संचार के साथ स्थिति, नेवीगेशन, निगरानी आदि को एक ही बुनियादी ढ़ांचे में एकीकृत स्वरूप में काम करेगा.
200 मीटर तक जा सकती ऊंचाई
कंपनी के विशेषज्ञों का अनुमान है कि लूनासेबर को 200 मीटर तक भी लंबा किया जा सकता है जिससे उसकी सेवाओं में इजाफा हो सके. यह चंद्रमा के क्षितिज पर इतना ऊंचा हो सकता है कि यह दक्षिणी ध्रुव पर हर समय सूर्य को देख सकता है. इसके सबसे ऊपर कैमरा और संचार तंत्र लगाया जाएगा. साथ ही इससे आसपास के बहुत बड़े क्षेत्र में रोवर के लिए रोशनी फैलाई जा सकेगी.
हमेशा रोशनी पाने की चुनौती
परियोजना के प्रमुख इनवेस्टीगेटर विष्णु सानिगेपल्ली का कहना है कि पहले माना जा रहा था चंद्रमा के ध्रुव के शीर्ष स्थलों पर हमेशा ही प्रकाश रहता है जहां सौर पैनल लगाने से साल भर ऊर्जा पैदा की जा सकेगी. लेकिन नासा के लूनार रेकोनॉयसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) ने जब से चंद्रमा का नक्शा बनाना शुरू किया है, तब पता चला है कि चंद्रमा के ध्रुवों के पास भी ऐसा कोई स्थान नहीं है जिससे साल भर लगातार सूर्य की रोशनी मिलती रहे.
कहीं नहीं मिलती हमेशा रोशनी
चंद्रमा पर कई ऐसी ऊंचे क्रेटर मिले हैं जहां लंबे समय तक सूर्य की रोशनी पहुंचती है, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता है. केवल दक्षिणी ध्रुव पर होने के यह अर्थ नहीं है कि दिन लंबे होंगे. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि टॉवर यहां के सबसे ऊंची पहाड़ी या क्रेटर पर बने, जिससे 95 फीसदी से अधिक समय तक उसे सूर्य की रोशनी मिलती रहे जो स्थान और ऊंचाई दोनों पर निर्भर करता है. क्रेटर के शीर्ष करीब 500 मीटर से अधिक ऊंचे हैं.
एक साथ कई कार्यों में उपयोग
सानिगेपल्ली के मुताबिक लगातार रोशनी को होना ही काफी नहीं है. क्योंकि हमारे लिए चंद्रमा पर रोवर और अन्य चलित तंत्रों के लिए संचार की भी व्यवस्था करनी होगी. कंपनी का मानना की लूनारसेबर एक तरह से चंद्रमा की अर्थव्यवस्था का आधार बन सकता है. इसमें कई तरह की सेवाओं को भी जोड़ा जा सकेगा.
चंद्रमा पर उत्खनन के लिए भी उपकरण
इतना ही नहीं हनीबी कंपनी एक रेडवायर परियोजना भी तैयार कर रही है जिसका काम चंद्रमा की सतह पर खुदाई कर वहां के संसाधनों को दोहन करना होगा. यह खनन तंत्र मंगल की सतह के अंदर से पानी निकालने के लिए तैयार किया गया था. यह कई मीटर गहरे गड्ढे खोद सकेगा और सतह के नीचे की बर्फ तक पहुंच कर उसे पिघलाने का काम कर सतह पर पानी निकालने में सक्षम होगा.
हनीबी कंपनी लंबे समय से दूसरी दुनिया में हार्डवेयर उपकरण बनाने और डिजाइन करने का काम कर रही है. इसके रॉक एबेरेजन टूल (आरएटी या रैट) विकसित किया था जिसे साल 2004 में मंगल पर भेजे गए स्पिरिट और अपॉर्चिनिटी रोवर के साथ भेजा गया था. इसके नमूने लेने के उपकरण पर्सिवियरेंस रोवर और जापान के प्रोब में उपयोग में लाए जा चुके हैं.
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Tags: Earth, Moon, Science, Space
FIRST PUBLISHED : December 15, 2023, 10:28 IST
