फ्रांस की विश्व प्रसिद्ध लेखिका सिमोन द बोउवार की पुस्तक ‘द सेकेंड सेक्स’ का फ्रेंच भाषा से हिंदी में अनुवाद वाणी प्रकाशन द्वारा कराया जा रहा है. ‘द सेकेंड सेक्स’ के आवरण का लोकार्पण प्रख्यात कवि और आलोचक अशोक वाजपेयी, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित लेखिका व कवि अनामिका, कहानीकार रोहिणी अग्रवाल द्वारा फ्रांस दूतावास में किया गया. इस पुस्तक का अनुवाद मोनिका सिंह ने किया है.
वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी ने कहा कि ‘द सेकेंड सेक्स’ का हिंदी अनुवाद अगले वर्ष बाजार में आएगा. उन्होंने कहा कि यह नया अनुवाद हिंदी पाठकों को सिमोन द बोउवार के विचारों और दृष्टि के पूर्ण दायरे तक पहुंच प्रदान करेगा.
कार्यक्रम में साहित्य और मीडिया जगत के नामचीन व्यक्ति मौजूद थे. इनमें जवाहर सरकार, श्योराज सिंह बेचैन, गोपेश्वर सिंह, बिमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र, मृदुला गर्ग, ममता कालिया, राहुल देव, विनोद भारद्वाज, सुरेश ऋतुपर्ण, अनंत विजय, संजीव पालीवाल, अमरेश द्विवेदी, जयप्रकाश पांडेय, हरियश राय, दिविक रमेश, प्रभात रंजन, आनंद प्रधान, आलोक श्रीवास्तव, आध्यात्मिक गुरु ओमा द अक्क, जयप्रकाश कर्दम, तसलीमा नसरीन, गरिमा श्रीवास्तव और फ्रांसीसी दूतावास के सदस्य शामिल थे.

‘द सेकेंड सेक्स’ के हिंदी संस्करण पर अपने विचार व्यक्त करती हुईं वाणी प्रकाशन की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी.
बता दें कि फ्रांस की चर्चित लेखिका सिमोन द बोउवार का जन्म 1908 में पेरिस में हुआ था. सीमोन ने अपनी रचनाओं के माध्यम से महिलाओं के अलग-अलग रूपों और उनके दर्द को प्रस्तुत किया है. उनकी पुस्तक ‘द सेकेंड सेक्स’ ने कामयाबी का अलग ही मुकाम हासिल किया.’द सेकेंड सेक्स’ पुस्तक ने स्त्री संबंधी धारणाओं और विमर्शों को व्यापक स्तर पर प्रभावित किया है.
सिमोन द बोउवार की इस पुस्तक को नारीवाद पर लिखी गयी सबसे उत्कृष्ट और लोकप्रिय पुस्तकों में गिना जाता है. द सेकेंड सेक्स एक ऐसी पुस्तक है जो यूरोप के सामाजिक, राजनीतिक और धर्म के उन नियमों को चुनौती देती है जिन्होंने नारी की प्रगति में हमेशा से बाधा डाली है.
‘द सेकेंड सेक्स’ मूल रूप से फ्रेंच भाषा में प्रकाशित हुई थी. इस पुस्तक का प्रकाशन जून 1949 में हुआ था. कुछ समय बाद इसका दूसरा भाग प्रकाशित हुआ. इस पुस्तक ने बाजार में आते ही हलचल मचा दी. थोड़े समय बाद इसका अंग्रेजी में अनुवाद प्रकाशित हुआ.
सिमोन द बोउआर का कहना था की स्त्री पैदा नहीं होती, उसे बनाया जाता है. सिमोन का मानना था कि स्त्रियोचित गुण दरअसल समाज और परिवार द्वारा लड़की में भरे जाते हैं, क्योंकि वह भी वैसे ही जन्म लेती है जैसे कि पुरुष. उसमें भी वे सभी क्षमताएं, इच्छाएं, गुण होते हैं जो किसी लड़के में होते हैं. सिमोन विलक्षण प्रतिभा की धनी थीं. 15 वर्ष की आयु में सिमोन ने निर्णय ले लिया था कि वह एक लेखिका बनेंगी. दर्शनशास्त्र, राजनीति और सामाजिक मुद्दे सिमोन के पसंदीदा विषय थे.
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FIRST PUBLISHED : December 14, 2023, 15:00 IST
