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“गौशाला नहीं, श्मशान है कुटरा की गौशाला! भूख से तड़पती गायें, खेतों में बिखरी हड्डियों की फसल – कब जागेगा प्रशासन?” कालपी (जालौन) – “गौमाता” की जय-जयकार करने वाला तंत्र आज अपने असली चेहरे के साथ बेनकाब हो चुका है। जनपद जालौन के महेवा ब्लॉक अंतर्गत कुटरा गौशाला इस वक्त चर्चा में है, लेकिन सेवा-संरक्षण की वजह से नहीं – बल्कि दरिंदगी, लापरवाही और अमानवीयता की वजह से! रिपोर्ट अत्रि यादव | लखनऊ/ मलिहाबाद तहसील के पास की मार्केट की एक दुकान में इलेक्ट्रिक वेल्डिंग गैस का कार्य अवैध रूप से चल रहा है किसी भी वक़्त कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है | तहसील के आस पास तहसील से सम्बंधित कार्य किये जाते हैं | इन्ही दुकानों के बीच ग्राहक सेवा केंद्र की दुकान की आढ़ में इलेक्ट्रिक वेल्डिंग का कार्य भी किया जाता है |रिपोर्ट अशोक मौर्य मलिहाबाद | भारतीय किसान श्रमिक जनशक्ति यूनियन की मासिक बैठक गन्ना दफ्तर में की गई जिस में मुख्य अतिथि वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रभारी दिनेश कुमार यादव व राष्ट्रीय महासचिव रामलखन रावत जी की उपस्थिति में सम्पन्न हुई | द जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष नीरज सिंह अग्निहोत्री का आगमन आज दिन रविवार हमीरपुर जिले में आना हुआ हमीरपुर कार्यालय में मीटिंग रखी गई पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर आजकल जो पत्रकारों के ऊपर फर्जी मुकदमे किए जा रहे हैं फर्जी मुकदमा लिखा जा रहा है | दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के ही अधिकारी दिव्यांगों के साथ कर रहे हैं भ्रष्टाचार _मनोज राजपूत  आज दिव्यांग विकास सोसायटी के मंडल अध्यक्ष जी ने जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है रिपोर्ट अशोक मौर्य मलिहाबाद | आज दिनांक 12.05.2025 को माननीय जनपद न्यायाधीश श्री मनोज कुमार राय के निर्देशानुसार श्री महेन्द्र कुमार पाण्डेय पूर्णकालिक सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हमीरपुर द्वारा जिला कारागार का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान जिला कारागार में जेल अधीक्षक श्री मंजीव विश्वकर्मा, जेलर, श्री के0पी0 |
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प्रगतिशील चेतना के अप्रतिम उर्जावान कवि-गीतकार शैलेंद्र की कविताएं कोरी कल्पना की उड़ान न होकर जीवनानुभव में रची-बसी और अपने समय तथा समाज का जीवंत दस्तावेज भी हैं. इश्क़, इंकलाब और इंसानियत के इस रचनाकार को यदि जनकवि कहा जाए, तो उसमें अतिश्योक्ति न होगी. आपको बता दें, कि शैलेंद्र कार्ल मार्क्स, कबीर, पुश्किन और निराला से खासा प्रभावित थे, जो कि उनके लेखन में भी साफ-साफ झलकता है. यह सच है कि शैलेंद्र हिंदी फिल्मों के सबसे बड़े गीतकार थे… हैं… और रहेंगे… उन्होंने जो भी लिखा वो लोगों के दिल को छू गया. उन्होंने एक से एक हिट गाने लिखे, जिन्हें आज भी सुनना किसी ज़िंदगीनामे को पढ़ने जैसा है.

गौरतलब है, कि शैलेंद्र ने 800 से ज्यादा गाने लिखे. राज कपूर की फिल्मों के अधिकतर गीत शैलेंद्र द्वारा ही लिखे गए थे. सभी गाने सुपर हिट रहे ये भी शायद इत्तेफाक था या फिर उनकी धारदार कलम का कमाल. उनके गीतों के बोल जिस भी व्यक्ति की जुबान पर चढ़े, फिर कभी नहीं भूले. इस बारे में एक किस्सा भी काफी सुनने को आता है, कि जब राजकपूर ने एक कार्यक्रम में ही शैलेंद्र की कविता सुनकर उसे अपनी फिल्म के लिए खरीदने की पेशकश की थी, तो शैलेंद्र ने बेधड़क कह दिया था कि ‘कविता बिकाऊ’ नहीं होती है.’ लेकिन आगे चलकर दोनों इतने अच्छे दोस्त बने कि लगातार सत्रह वर्षों तक आजीवन दोनों की दोस्ती बरकरार रही.

व्यक्तिगत तौर पर फिल्मों के ग्लैमर की चकाचौंध ने शैलेंद्र की प्रतिबद्धता और जनपक्षधरता को कभी विचलित नहीं किया. उनके कुछ गीतों को यदि उनके परिदृश्य और पटकथाओं से अलग रखकर पढ़ा जाए तो यह बात आसानी से समझ आती है कि वह गीत आला दर्जे की साहित्यिक हैसियत रखते हैं और यही वजह है कि उन्होंने जो कविताएं लिखीं वो भी बेहतरीन हैं.

उनकी रचनाओं की रेंज बहुआयामी है. उनके लेखन में भारतीयता की सोंधी महक, प्रेम की कोमल भावनाएं, संबंधों की उष्णता और जीवन दर्शन के अनेक पक्ष मौजूद हैं. उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से लोक परंपरा, लोक चेतना और लोक जीवन की उत्कृष्ट झांकियां अपने करिश्माई अंदाज़ में दिखाईं. उन्होंने जो भी लिख दिया वह लोकप्रिय होने के साथ-साथ लोगों के दिलों में हमेशा-हमेशा के लिए कैद होकर रह गया. आइए पढ़ते हैं, शैलेंद्र की तीन चुनिंदा कविताएं-

1)
नादान प्रेमिका से

तुमको अपनी नादानी पर
जीवन भर पछताना होगा!

मैं तो मन को समझा लूंगा
यह सोच कि पूजा था पत्थर
पर तुम अपने रूठे मन को
बोलो तो, क्या उत्तर दोगी ?
नत शिर चुप रह जाना होगा!
जीवन भर पछताना होगा!

मुझको जीवन के शत संघर्षों में
रत रह कर लड़ना है;
तुमको भविष्य की क्या चिंता,
केवल अतीत ही पढ़ना है!
बीता दुख दोहराना होगा!
जीवन भर पछताना होगा!

2)
बेटी बेटे

आज कल में ढल गया
दिन हुआ तमाम
तू भी सो जा सो गई
रंग भरी शाम

सांस सांस का हिसाब ले रही है ज़िंदगी
और बस दिलासे ही दे रही है ज़िंदगी
रोटियों के ख़्वाब से चल रहा है काम
तू भी सो जा सो गई
रंग भरी शाम

रोटियों-सा गोल-गोल चांद मुस्‍कुरा रहा
दूर अपने देश से मुझे-तुझे बुला रहा
नींद कह रही है चल, मेरी बाहें थाम
तू भी सो जा सो गई
रंग भरी शाम

गर कठिन-कठिन है रात ये भी ढल ही जाएगी
आस का संदेशा लेके फिर सुबह तो आएगी
हाथ पैर ढूंढ लेंगे, फिर से कोई काम
तू भी सो जा सो गई
रंग भरी शाम

3)
तू ज़िंदा है तो ज़िंदगी की जीत में यकीन कर

तू ज़िंदा है तो ज़िंदगी की जीत में यकीन कर,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!

सुबह औ’ शाम के रंगे हुए गगन को चूमकर,
तू सुन ज़मीन गा रही है कब से झूम-झूमकर,
तू आ मेरा सिंगार कर, तू आ मुझे हसीन कर!
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!

ये ग़म के और चार दिन, सितम के और चार दिन,
ये दिन भी जाएंगे गुज़र, गुज़र गए हज़ार दिन,
कभी तो होगी इस चमन पर भी बहार की नज़र!
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!

हमारे कारवां का मंज़िलों को इंतज़ार है,
यह आंधियों, ये बिजलियों की, पीठ पर सवार है,
जिधर पड़ेंगे ये क़दम बनेगी एक नई डगर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!

हज़ार भेष धर के आई मौत तेरे द्वार पर
मगर तुझे न छल सकी चली गई वो हार कर
नई सुबह के संग सदा तुझे मिली नई उमर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!

ज़मीं के पेट में पली अगन, पले हैं ज़लज़ले,
टिके न टिक सकेंगे भूख रोग के स्वराज ये,
मुसीबतों के सर कुचल, बढ़ेंगे एक साथ हम,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!

बुरी है आग पेट की, बुरे हैं दिल के दाग़ ये,
न दब सकेंगे, एक दिन बनेंगे इंक़लाब ये,
गिरेंगे जुल्म के महल, बनेंगे फिर नवीन घर!
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!

Tags: Bollywood, Hindi Literature, Hindi poetry, Hindi Writer, Lyricist

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