नई दिल्ली: क्या हिंदू धार्मिक नेताओं की लक्षित हत्या (टारगेट किलिंग) को अपने आप में आतंकवादी कृत्य माना जा सकता है? मद्रास उच्च न्यायालय ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार एक व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा कि यह बहस का मुद्दा है. जस्टिस एसएस सुंदर और सुंदर मोहन की खंडपीठ ने बुधवार को कहा कि सबूतों से पता चलता है कि साजिश कुछ निश्चित धार्मिक नेताओं पर हमला करने की थी. अधिकारियों ने यह नहीं बताया है कि इसे आतंकवादी कृत्य कैसे माना जाएगा, जैसा कि यूएपीए की धारा 15 के तहत परिभाषित किया गया है.
कोर्ट ने कहा कि यूएपीए की धारा 15 के तहत एक अधिनियम लाने के लिए यह कार्य भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा या संप्रभुता को धमकी देने या संभावित रूप से धमकी देने के इरादे से या भारत या किसी विदेशी देश में लोगों या लोगों के किसी भी वर्ग में आतंक फैलाने के लिए या आतंक फैलाने या संभावित रूप से हमला करने के इरादे से किया जाना चाहिए. पीठ ने आसिफ मुस्तहीन द्वारा जमानत पर रिहाई की मांग करने वाली अपील पर ये टिप्पणियां कीं. आसिफ को 26 जुलाई, 2022 को यूएपीए के तहत अपराध के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किया गया था.
आरोपियों द्वारा पहले दायर की गई जमानत याचिकाओं को ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. वे पिछले 17 महीने से जेल में बंद थे. कोर्ट में अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि आरोपी आईएस का सदस्य बनना चाहता था और उसने दूसरे आरोपी के साथ निकटता बढ़ाई, जो वैश्विक आतंकवादी संगठन का सदस्य था. आगे यह भी आरोप लगाया गया कि दोनों ने भाजपा और आरएसएस से जुड़े हिंदू धार्मिक नेताओं को मारने की योजना बनाई थी.

इसके बाद अभियोजन पक्ष से सहमत होने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा कि सबूत कहीं भी यह संकेत नहीं देते कि आरोपी आईएस में शामिल हो गया और दूसरा आरोपी आतंकवादी समूह का सदस्य था. अदालत ने कहा कि यह मानते हुए भी कि अभियोजन पक्ष द्वारा एकत्र की गई सामग्री अंततः दोषसिद्धि का कारण बन सकती है, मुकदमे के लंबित रहने तक हिरासत अनिश्चितकालीन नहीं हो सकती. पीठ ने आरोपी को इरोड में रहने और अगले आदेश तक हर दिन सुबह 10.30 बजे ट्रायल कोर्ट में पेश होने के निर्देश के साथ सशर्त जमानत दे दी.
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FIRST PUBLISHED : December 14, 2023, 07:29 IST
