नई दिल्ली. धारा 370 पर 11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर चिंता जताने पर मुस्लिम देशों के संगठन OIC को भारत ने जमकर लताड़ लगाई है. दरअसल OIC ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता जाहिर की थी. ओआईसी सचिवालय द्वारा जारी बयान के संबंध में, आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत भारतीय सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के जनरल सचिवालय द्वारा जारी बयान को खारिज करता है.
अरिंदम बागची ने कहा कि यह गलत सूचना और गलत इरादे वाला है. ओआईसी ऐसा मानवाधिकारों के सिलसिलेवार उल्लंघनकर्ता और सीमा पार आतंकवाद के एक बेपरवाह प्रमोटर के इशारे पर करता है, जिससे उसकी कार्रवाई और भी संदिग्ध हो जाती है. इस तरह के बयान केवल ओआईसी की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं.
अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया है. केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को संविधान के इस प्रावधान के खत्म कर दिया था. यह प्रावधान जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों से अलग विशेष दर्जा प्रदान करता था. इसके बाद भारत सरकार के इस कदम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसे सोमवार को शीर्ष अदालत ने खारिज करते हुए अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को वैध करार दिया. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर से अलग लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले को भी सही ठहराया है.

अनुच्छेद 370 के तहत केंद्र सरकार के हाथ पूरी तरह बंधे थे
इस कारण इस अनुच्छेद को हटाए जाने तक राज्य की जनता सीधे तौर पर भारत के संविधान के अधीन नहीं थी. जम्मू-कश्मीर की जनता के अपने कानून थे. इनमें नागरिकता, संपत्ति और मौलिक अधिकार से जुड़े कानून भी शामिल थे. अनुच्छेद 370 के तहत केंद्र सरकार के हाथ पूरी तरह बंधे थे. वह राज्य में वित्तीय आपातकाल नहीं लगा सकती थी. भारत सरकार केवल युद्ध के वक्त राज्य में आपातकाल लगा सकती थी. यहां तक कि भारत के नागरिक जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे. वे जम्मू-कश्मीर में बस नहीं सकते थे.
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FIRST PUBLISHED : December 13, 2023, 15:56 IST
