किसी भी पूजा-अनुष्ठान में नवग्रह की पूजा का विशेष महत्व होता है. भारतीय ज्योतिष के अनुसार सूर्य, चंद्र, भौम, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु नवग्रह हैं. भारतीय ज्योतिष कहती है कि धरती से जुड़े सभी प्राणियों के शरीर और मस्तिष्क पर ग्रहों की दशा और चाल का सीधा असर पड़ता है. हर ग्रह में एक विशेष ऊर्जा होती है, जिसका असर प्रत्येक जीव पर पड़ता है. ज्योतिष यह भी कहता है कि ग्रहों का प्रभाव ताउम्र पड़ता रहता है. नवग्रह व्यक्ति के व्यक्तित्व, उसके कारोबार और घर-परिवार में शांति-समृद्धि के लिए अहम भूमिका निभाते हैं.
नवग्रहों की विपरीत ऊर्जा के प्रभाव से बचने के लिए भारतीय ज्योतिष में अनेक उपाय बतलाए गए हैं. हर ग्रह का स्वामी अलग होता है, उसका रंग, कपड़ा, धातु, पत्थर यहां तक कि फल-पौधा तक अलग होता है. नवग्रहों की पूजा-अनुष्ठान, उनके मंत्र और स्तोत्र अलग-अलग होते हैं.
ग्रहों के विपरीत असर से बचने के लिए भारतीय ज्योतिष में अलग-अलग उपाय बताए गए हैं. जैसे ग्रह विशेष के लिए रंग विशेष के कपड़े पहनना, उनके अनुसार धातु और पत्थरों को धारण करना, उनकी पूजा-पाठ करना आदि उपाय किए जाते हैं. इन उपायों को करने से ग्रहों की विपरीत चाल से काफी हद तक बचा जा सकता है.
ग्रह के अनुसार पेड़-पौधे
विपरीत दशा में चल रहे ग्रहों को शांत करने या फिर उनके असर को कम करने के लिए पूजा-पाठ, अनुष्ठान आदि खर्चिले उपाय होते हैं. यहां हम कुछ ऐसे आसान उपायों के बारे में बता रहे हैं जिनको अपनाने से नवग्रहों की शांति की जा सकती है. इन उपायों में सबसे सरल है नवग्रह से संबंधित पेड़-पौधों की पूजा और फलों का सेवन करना.
सूर्य के लिए आक की पूजा
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य दोष है तो उसे आक के पौधे की पूजा करनी चाहिए. सूर्य के कमजोर होने पर मान-सम्मान में कमी आना और दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. आक को अकौआ या अर्क भी कहते हैं. यह एक छोटा पौधा होता है. इसके पत्ते बरगद की तरह होते हैं. उनका रंग सफेदी लिए हरा होता है. फूल छोटा सफेद गुच्छे में होता है. इसका फल आम की तरह होता है. फल पकने पर रूई की तरह बीज निकलकर हवा में उड़ते देखे जा सकते हैं. इसकी पत्तियों और टहनियों को तोड़ने से सफेद दूध जैसा जहरीला पदार्थ निकलता है. आक का पौधा और इसका दूध कई दवाओं में इस्तेमाल होता है. इसकी जड़ों का इस्तेमाल तंत्र-मंत्र की क्रियाओं के लिए किया जाता है. आक का पौधा घर में लगाना शुभ माना जाता है. इसके फूलों को भगवान शिव पर भी अर्पित किया जाता है.
चंद्रमा के लिए पलाश का पौधा
जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्र दोष होता है, उसे पलाश के पौधे की पूजा करनी चाहिए. लाल रंग के पलाश के फूल बहुत ही खूबसूरत होते हैं. इन्हें टेसू के फूल भी कहते हैं. इनसे होली का रंग भी बनता है. पलाश के फूलों का जंगल की आग भी कहते हैं. दूर से देखने पर ये फूल आग की लपटों की तरह दिखाई देते हैं. पलाश के फूलों का औषधीय उपयोगिता भी है. इसके फूलों से स्नान करने पर ताजगी बढ़ती है. शरीर में ठंडक पहुंचती है. काम शक्ति बढ़ती है.
मंगल की शांति के लिए बरगद की पूजा
जिस जातक की कुंडली में मंगल ग्रह का दोष है उन्हें बरगद के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए. जिसकी कुंडली में मंगल मजबूत होता है वह बहुत ही साहसी होता है. मंगल कमजोर होने पर कदम-कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. बरगद के पेड़ की पूजा करने से दोष को कम किया जाता सकता है. बरगद का पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर होता है. बरगद की पूजा करने के मंगल दोष कम होता है.
बुध के लिए चिरचिटा की पूजा
कुंडली में बुध ग्रह के कमजोर होने पर जातक की बुद्धि और वाणी में दोष पाया जाता है. पढ़ाई में मन नहीं लगता. कोई बात आसानी से समझ में नहीं आती. मानसिक तनाव बना रहता है. बुध के दोष को कम करने के लिए भारतीय ज्योतिष में चिरचिटा की पूजा करने का विधान बताया गया है.
चिरचिटा को अपामार्ग, लटजीरा भी कहते हैं. यह एक तरह की कंटीली घास होती है. इसे वज्रदंती भी कहते हैं. इसकी जड़ से दातून करने से दांत मजबूत होते हैं. पेट के रोग के लिए भी यह पौधा लाभकारी होता है. जहरीले जीव के काटे का इलाज भी इस पौधे से किया जाता है.
गुरु के लिए पीपल का पेड़
वैसे तो गुरु ग्रह के लिए कैले के पेड़ की पूजा की जाती है. लेकिन कुछ स्थानों पर गुरु ग्रह के दोष कम करने के लिए पीपल की पूजा का उल्लेख है. बृहस्पति कमजोर होने से जातक के यश में कमी आती है. पीपल का पौधा वनस्पति विज्ञान और भारतीय ज्योतिष में श्रेष्ठ माना गया है. इसका पूजा का विशेष विधान है. शनिवार के दिन पीपल की पूजा की जाती है.
शुक्र के लिए गूलर का पेड़
पूजा-पाठ में पीपल, पिलखल और गूलर के पेड़ों का विशेष महत्व है. शुक्र ग्रह की कमजोरी से गृहस्थ सुखों में कमी आती है. शुक्र को वासना, सौंदर्य और सांसारिक सुखों का ग्रह माना जाता है. शुक्र की दशा कमजोर पड़ने पर विवाह आदि में रुकावट आती है. पति-पत्नी के संबंधों में खटास आती है. इसके लिए अन्य पूजा-पाठ के अलावा गूलर के पेड़ की पूजा का विधान है. इसके फल अंजीर की तरह होते हैं. फल औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं.
शनि दोष दूर करे शमी की पूजा
शनि को कर्म और न्याय का देवता माना गया है. शनि मजबूत होने से कल-कारखानों से जुड़े काम करने पर कामयाबी मिलती है. शनि कमजोर होने से तमाम परेशानियां झेलनी पड़ती हैं. शनि की शांति के लिए वैसे तो पीपल के वृक्ष की पूजा का विधान है, लेकिन नवग्रह में शनि की शांति के लिए शमी के पौधे की पूजा करनी चाहिए. शमी का पौधा बहुत ही शुभ माना जाता है. वास्तुकला के हिसाब से शमी का पौधा घर के द्वार पर लगाने से समृद्धि होती है. शनि के दौष को दूर करने के लिए शमी का पौधा लगाना और उसकी पूजा करना अच्छा माना गया है.
राहु का दोष दूर करती कुशा की जड़
भारतीय ज्योतिष के अनुसार, राहु को नकारात्मक ग्रह माना गया है. राहु की कृपा से लोग राजनीति में बड़ी कामयाबी भी हासिल करता है, नजर टेढ़ी होते ही आदमी को तबाह कर देता है. राहु के दोष से बचने के लिए कुशा की जड़ से पूजन करना चाहिए. पूजा-पाठ, अनुष्ठान आदि में कुशा के आसन को पवित्र माना जाता है. कुशा की पवित्री (घास की अंगूठी) से पितरों का तर्पण किया जाता है.
दूब घास से दूर होगा केतु दोष
केतु को भी नकारात्मक ग्रह माना गया है. इसके प्रकोप से जीवन में दुर्घटना, दुख और रोग की वजह माना जाता है. केतु के दुष्प्रभाव से बचने के
लिए दूर्वा की पूजा करनी चाहिए और पूजा-पाठ में दूब घास का उपयोग करना चाहिए. दूब का धार्मिक और औषधीय गुण महत्व है. दूब में वात कफ पित्त के विकारों को नष्ट करता है.
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FIRST PUBLISHED : December 13, 2023, 16:00 IST
