हाइलाइट्स
गुरुग्राम में आईटी इंजीनियर की जॉब कर रही लड़की के साथ हुआ फ्रॉड.
लड़की से स्कैमर्स ने लूट लिए करीब सात लाख रुपये.
नई दिल्लीः देशभर में साइबर फ्रॉड के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं. स्कैम करने वाले लोगों के साथ धोखाधड़ी करने के लिए तरह-तरह के तरीके अपना रहे हैं. ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला हरियाणा के गुरुग्राम से सामने आया है, जहां एक युवत को स्कैमर्स ने मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर फोन किया और करीब ढाई घंटे तक स्काइप पर पूछताछ की. आरोपितों ने युवती पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाकर पैसा ट्रांसफर करने को कहा. इस दौरान पीड़िता को करीब सात लाख रुपये की चपत लग गई. पीड़िता की पहचान साक्षी गुप्ता के रूप में हुई, जो आईटी इंजीनियर की जॉब करती है. पूरा मामला 3 अक्टूबर का है.
कूरियर का हवाला देकर किया फोन
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक करीब दो महीने बाद, पीड़िता, उसके पति, पुलिस और बैंक के प्रयासों से, पैसा बरामद कर लिया गया और पीड़िता के खाते में वापस ट्रांसफर कर दिया गया. सेक्टर 10ए निवासी साक्षी गुप्ता ने कहा कि अक्टूबर में उन्हें एक फोन आया, जिसमें एक व्यक्ति ने खुद को फेडएक्स से होने का दावा करते हुए बताया कि उनके कूरियर को सीमा शुल्क विभाग ने पकड़ लिया है.
स्कैमर्स के पास पीड़िता का आधार कार्ड डिटेल था
साक्षी को यकीन था कि उसने कोई ऑर्डर नहीं दिया था और उसने फोन करने वाले को उतना ही बता दिया था. लेकिन जब कॉल करने वाले ने उसका आधार कार्ड नंबर पढ़ा और उसे बताया कि उसकी आईडी अवैध गतिविधियों से जुड़ी हुई है, तो गुप्ता चिंतित हो गई. इससे पहले कि वह अधिक जानकारी मांग पाती, उसे बताया गया कि उसका कॉल मुंबई पुलिस की अपराध शाखा को स्थानांतरित किया जा रहा है.
स्कैमर्स ने स्काइप पर पीड़िता से की पूछताछ की नाटक
साक्षी ने बताया, ‘उन्होंने मुझसे स्काइप कॉल पर जुड़ने को कहा और कहा कि मुझे हर समय अपना कैमरा और माइक चालू रखना होगा. मैं घबरा गई और उन्होंने जो कुछ कहा, उसका पालन किया. मैंने स्काइप पर उनके पास मौजूद लोगो की जांच की और वह मुंबई पुलिस के लोगो से मेल खा गया. उन्होंने कहा कि मेरे आधार से मनी लॉन्ड्रिंग के कई मामले जुड़े हुए हैं.’ वीडियो कॉल के दौरान ही उन्होंने बैंक डिटेल मांगा और प्राइमरी व सेकेंडरी अकाउंट नंबर मांगे लेकिन साक्षी ने डिटेल नहीं दी.
दो बार में खाते में ट्रांसफर कराए 7 लाख रुपये
साक्षी ने बताया, ‘उन्होंने मुझसे कहा कि बैंक और संबंधित विभागों को यह जांचना होगा कि मेरे खाते मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े तो नहीं हैं, और मुझसे दो लेनदेन में 2,80,931 रुपये और 3,92,008 रुपये ट्रांसफर करने के लिए कहा. जब उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि 15 मिनट में पैसा वापस कर दिया जाएगा, तो मैंने वैसा ही किया जैसा उन्होंने कहा था और पैसे ट्रांसफर होते ही कॉल कट गई.
पैसा ट्रांसफर होने पर कट गई कॉल
यह पूछे जाने पर कि कैसे उन्हें यह विश्वास दिलाया गया कि कॉल करने वाले असली अधिकारी थे, गुप्ता ने कहा, “उन्होंने स्काइप चैट पर एक अधिकारी की आईडी अपलोड की, साथ ही एक प्रक्रियात्मक रिपोर्ट भी अपलोड की, जिस पर आरबीआई लिखा हुआ था.” जब उन्हें कॉल करने वालों से कोई जवाब नहीं मिला, तो गुप्ता को एहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है. इसके बाद गुप्ता और उनके पति अर्पित गांधी ने पैसे का पता लगाने के लिए कड़ी मेहनत की.
बैंक ने अकाउंट को किया फ्रीज
अर्पित ने कहा, ‘पुलिस और बैंक को कई ईमेल भेजने के बाद, बैंक ने कहा कि चूंकि लेनदेन प्रमाणित हो गए हैं, इसलिए उन्हें शिकायत बंद करनी होगी. पुलिस ने हमें सूचित किया कि आरोपियों के बैंक खातों का इस्तेमाल पहले भी इसी तरह के घोटालों के लिए किया गया है और महाराष्ट्र पुलिस और अन्य राज्य बलों ने इसकी सूचना दी थी.’ बैंक ने आदेश दिया कि आरोपी का खाता फ्रीज कर दिया जाए, साथ ही पीड़ित को यह भी बताया जाए कि पैसा वापस नहीं मिल सका.

7 लाख रुपये वापस खाते में आए
इसके बाद कपल ने पुलिस से संपर्क करने का फैसला किया. उन्होंने कहा, “हम डीसीपी (दक्षिण) सिद्धांत जैन के पास गए जिन्होंने सुझाव दिया कि हम सिविल कोर्ट से संपर्क करें. कोर्ट ने पुलिस को नोटिस भेजकर धनराशि जारी करने का आदेश दिया. पुलिस ने अदालत का आदेश गुवाहाटी और मुंबई की उन शाखाओं को भेजा जहां पैसे का पता लगाया गया और उसे जारी कर दिया गया.” राशि की पहली किश्त 1 दिसंबर को और बाकी 5 दिसंबर को आई.
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Tags: Crime News, Cyber Crime News
FIRST PUBLISHED : December 12, 2023, 07:00 IST
