नई दिल्ली. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आपराधिक कानून संशोधन विधेयक पेश करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह को हरी झंडी दे दी है. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में सूत्रों ने हवाले से कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनका कार्यालय गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति द्वारा दिए गए दो सुझावों से असहमत हैं क्योंकि उनके दूरगामी परिणाम होंगे और उन्हें सुप्रीम कोर्ट और उसके फैसलों के खिलाफ देखा जाएगा. जिन दो बिन्दुओं पर असहमति बनती दिख रही है उनमें पहला- शादीशुदा महिला व पुरुष द्वारा किसी अन्य से यौन संबंध बनाना (Adultery) और दूसरा- समलैंगिक यौन (homosexual Sex) संबंध को अपराध मानने पर है.
समिति ने सिफारिश की थी कि अडल्ट्री के अपराध को भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 में बरकरार रखा जाए. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में इस अपराध को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह महिलाओं के खिलाफ भेदभाव करता है, लैंगिक रूढ़िवादिता को कायम रखता है और महिलाओं की गरिमा को कम करता है. स्थायी समिति की एक अन्य सिफारिश भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 के तहत गैर-सहमति वाले कृत्यों को दंडित करने की थी. भले ही सुप्रीम कोर्ट ने वयस्कों के बीच सहमति से बने समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया है, लेकिन उन्होंने इस प्रावधान को नए विधेयक में बनाए रखने के लिए कहा है और कहा है कि पुरुष, महिला, ट्रांसजेंडर के खिलाफ गैर-सहमति से यौन अपराध पर कोई प्रावधान नहीं बनाया गया है.
यह भी पढ़ें:- MP New CM: मोहन यादव होंगे मध्य प्रदेश के नए सीएम, भाजपा विधायक दल की बैठक में फैसला, 2 Deputy CM भी होंगे
इन सिफारिशों को नहीं मानेगी सरकार
प्रधानमंत्री, उनके कार्यालय (PMO) और कैबिनेट ने इस सिफारिश को स्वीकार नहीं करने पर सहमति व्यक्त की है, और इसलिए आईपीसी की धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हटा दिया गया है. अडल्ट्री के अपराध पर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पत्नी को पति की संपत्ति समझा जाता है. अगर ऐसे अपराध में केवल पुरुषों को ही दंडित किया गया तो यह महिलाओं की स्वयतता का अपमान माना जाएगा. हालांकि संसदीय समिति का मानना है कि विवाह को पवित्र माना जाता है और इसे भारतीय समाज में संरक्षित करने और जेंडर न्यूट्रल रखने की जरूरत हैण् सूत्रों ने बताया कि पीएमओ, प्रधानमंत्री और कैबिनेट इस सिफारिश को न मानने के फैसले पर सहमत हैं.

राज्यसभा में कब पेश होंगे तीनों बिल?
संगठित अपराध और आतंकवाद की परिभाषा को 21वीं सदी के अनुरूप बनाने के लिए इसमें कुछ बदलाव किए गए हैं. तीनों विधेयकों पर बुधवार और अगले सप्ताह की शुरुआत में राज्यसभा में विचार और पारित होने की उम्मीद है, जिससे नए आपराधिक कानून विधेयकों का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा, हालांकि विधेयक के नामों पर अभी भी काफी विवाद है.
.
Tags: Amit shah, Parliament Winter Session, Pm narendra modi
FIRST PUBLISHED : December 11, 2023, 18:33 IST
