नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के एक अलग फैसले में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने 1980 के दशक से जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन की निष्पक्ष जांच का आह्वान किया. उन्होंने कहा, “मैं एक निष्पक्ष सत्य और सुलह आयोग की स्थापना की सिफारिश करता हूं. आयोग कम से कम 1980 के दशक से जम्मू-कश्मीर में राज्य और गैर-राज्य अभिनेताओं द्वारा किए गए मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करेगा और रिपोर्ट करेगा और सुलह के उपायों की सिफारिश करेगा.”
न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि ‘स्मृति खत्म होने’ से पहले आयोग का गठन शीघ्र किया जाना चाहिए और केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि यह पूरी प्रक्रिया समयबद्ध तरीके से पूरी होनी चाहिए. उन्होंने कहा, “आगे बढ़ने के लिए, घावों को ठीक करने की आवश्यकता होती है. अंतर-पीढ़ीगत आघात लोगों द्वारा महसूस किया जाता है. घावों को ठीक करने की दिशा में पहला कदम राज्य और उसके अभिनेताओं द्वारा किए गए उल्लंघनों के कृत्यों को स्वीकार करना है.”
जस्टिस कौल ने कहा, “पहले से ही युवाओं की एक पूरी पीढ़ी है, जो अविश्वास की भावना के साथ बड़ी हुई है और उन्हीं के लिए हम मुक्ति के सबसे बड़े दिन के आभारी हैं. आयोग को एक आपराधिक अदालत नहीं बनना चाहिए, बल्कि लोगों को यह साझा करने में सक्षम बनाना चाहिए कि वे किस दौर से गुजरे हैं.”
.
Tags: Article 370, Jammu kashmir, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : December 11, 2023, 18:01 IST
