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मलिहाबाद तहसील प्रशासन के अधिकारियों के आदेश उनके ही कर्मचारी नहीं मानते एवं प्रशासन द्वारा लगातार आश्वासन दिया गया एवं संगठन के प्रतिनिधि मंडल से बैठक कर समय पर समय दिया गया लेकिन क्षेत्र एवं किसान की समस्याओं का निस्तारण नहीं किया | आज दिव्यांग विकास सोसाईटी के द्वारा विकासखंड मलिहाबाद में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया जिसमें ब्लाक परिसर के गेट में दिव्यांग विकास सोसाईटी के द्वारा ताला बंद कर विरोध प्रदर्शन जताया गया जिसमें विकासखंड अधिकारी ने आश्वासन दिया कि जो भी दिव्यांगों की समस्याएं हैं | ब्रेकिंग न्यूज़ जनपद भदोही जिले में महाराजा गंगा बक्स रावत विजय दिवस शुभ अवसर पर बाइक रैली यात्रा जनपद भदोही में कई स्थानों पर गडरियापुर अजयपुर ज्ञानपुर प्रमुख समाज सेवक आशीष पासी के नेतृत्व में आयोजन किया गया | मलिहाबाद के मुंशी खेड़ा गांव में जनता त्रस्त सफाई कर्मी मस्त खुलेआम सरकार की उड़ाई जा रही ध्वजियां  ग्राम मुंशी खेड़ा में जनता त्रस्त सफाई कर्मी मस्त खुलेआम सरकार की उड़ाई जा रही ध्वजियां सफाई कर्मचारियों की लापरवाही से गांव की गलियों से गंदगी फैली हुई है नाली का निर्माण न होने से घरों का गंदा पानी सड़कों पर भर रहा है ग्राम प्रधान की लापरवाही से उड़ाई जा रही स्वच्छ मिशन की ध्वजियां । | लखनऊ। राजधानी लखनऊ में पत्रकार अमन द्विवेदी ने अपने जन्मदिवस के शुभ अवसर पर अखंड रामचरितमानस पाठ करवा कर एन के इंटरप्राइजेज,द्विवेदी इंटरप्राइजेज का किया शुभारंभ। | उतर प्रदेश की राजधानी लखनऊ मलिहाबाद तहसील में एक दिवसीय सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया गया जिसमें दिव्यांग जनों की विभिन्न समस्याओं को लेकर के तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया जिसमें तहसीलदार ने सभी दिव्यांग जनों की समस्याओं का जल्द से जल्द निस्तारण करने का आश्वासन दिया है |
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क्लाइमेट ऑफ इंडिया के सालाना बयान के मुताबिक साल 2022 में प्राकृतिक आपदा से करीब 2227 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई, जबकि 25 लाख लोगों को आतंरिक रूप से अपने घरों को छोड़कर विस्थापित होना पड़ा. अब इस दृष्टिकोण को जरा और विस्तार से देखें तो दक्षिण एशिया में साल 2022 में प्राकृतिक आपदा से करीब 25 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा.

प्राकृतिक आपदा को लेकर हम स्पष्ट रूप से बोल सकते हैं कि इतिहास हमें साफ तौर पर साक्ष्य देता है कि दुनिया भर में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिसे आपदा-प्रूफ कहा जा सके. बेशक आपदा के कम से कम होने की उम्मीद हो सकती है लेकिन वो बिल्कुल न आए ऐसा नहीं कहा जा सकता है. भारत ने भी आजादी से लेकर आजतक प्राकृतिक आपदाओं का कहर झेला है. इन प्राकृतिक आपदाओं में भारत ने अपने न सिर्फ नागरिकों और पशुधन को खोया है बल्कि अरबों का आर्थिक नुकसान झेला है. चाहें वो आपदा मोरबी की 1979 में बांध टूटने के बाद आई बाढ़ हो या 2007 में बिहार की कोसी नदी में आई बाढ़ हो. इन आपदाओं में भारत ने 2013 में केदारनाथ-उत्तराखंड में आई बाढ़, 2014 में कश्मीर में आई बाढ़, 2004 में आई सुनामी और 2001 में गुजरात के भूकंप देखे हैं. सबसे त्रासदी पूर्ण हालात भारत ने साल 1770 में देखे, जब बंगाल का क्षेत्र अकाल की चपेट में आया. माना जाता है कि इस अकाल में 1 करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई थी.

दुर्भाग्य से, संस्थागत प्रणालियों में अक्सर आपदा के दौरान क्षमता की कमी पाई जाती है, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है. सदियों से आपदाओं का शिकार होने के बाद भी प्रमुख पदों पर बैठे लोगों के बीच भी पर्याप्त विशेषज्ञता हमेशा से एक चिंता का विषय बनी हुई है. आपदा में विशेषज्ञता की कमी और प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता को लेकर मोदी स्टोरी ने रिसर्च और ब्लू क्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने कंपाइल्ड करके एक किताब छापी है.

Resilient India नाम से छापी गई इस किताब में भारत में आई आपदाओं में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी दूरदर्शी सोच के जरिए जो काम किया उसका उल्लेख है. अब ये काम चाहें 1979 में गुजरात के मोरबी में आई बाढ़ में बतौर प्रचारक हो या गुजरात के मुख्यमंत्री रहते भुज के भूकंप पीड़ितों की मदद.

नरेंद्र मोदी का सत्ता में आना आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ. नरेंद्र मोदी, जो भूकंप के कुछ महीने बाद मुख्यमंत्री बने थे, उन्होंने मिशन मोड में गुजरात के प्रयासों का नेतृत्व किया. उनकी सरकार ने रिकॉर्ड गति से भुज में पुनर्निर्माण किया गया था. संयुक्त राष्ट्र ने बेहतर आपदा तैयारियों के मॉडल विकसित करने के लिए देशों को प्रेरित करने के उद्देश्य से 1990 के दशक को प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण के लिए अंतरराष्ट्रीय दशक घोषित किया था. नरेंद्र मोदी ने गुजरात के पुनर्निर्माण प्रयासों का नेतृत्व किया, लेकिन यह पहली बार नहीं था कि उन्होंने आपदा प्रभावित क्षेत्र में काम किया.

बहुत से लोग नहीं जानते कि 1979 में, युवा मोदी ने गुजरात के मोरबी शहर में बांध टूटने के बाद आई बाढ़ प्रभावित पानी वाले इलाकों में कड़ी मेहनत की थी, क्योंकि यह इतिहास की सबसे भयानक आपदाओं में से एक थी. एक सामाजिक कार्यकर्ता और संघ कार्यकर्ता के रूप में, उन्होंने अलग-अलग हालातों को संभालने में व्यापक अनुभव हासिल किया.

जब नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपना पहला प्रशासनिक कार्यभार संभाला, तो भारत में आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) के क्षेत्र में बहुत कुछ करने की आवश्यकता थी. मुख्यमंत्री के रूप में अपने काम के दौरान और 2014 के बाद प्रधान मंत्री के रूप में, काम संभालने के बाद उन्होंने भारत की क्षमता को आकार देने और बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

किताब का मकसद
यह किताब Resilient India आपदा प्रबंधन में मोदी की परिवर्तनकारी यात्रा को पेश करती है, यह भविष्य के निहितार्थों के संबंध में सारे महत्वपूर्ण सवालों को उठाती है. जैसे मोदी के शुरू किए गए बदलाव को कैसे कायम रखा जा सकता है और आगे बढ़ाया जा सकता है? उनके नेतृत्व में भारत के अनुभव से अन्य देश क्या सबक ले सकते हैं? ये सवाल वैश्विक आपदा प्रबंधन रणनीतियों पर व्यापक चर्चा के रास्ते खोलते हैं.

Resilient India भारत के आपदा प्रबंधन में परिवर्तनकारी के प्रमुख आयामों को सावधानीपूर्वक रेखांकित करती है. यह मोदी के नेतृत्व में शुरू हुई नवीन रणनीतियों, नीतिगत ढांचे और तकनीकी हस्तक्षेपों पर प्रकाश डालती है. जागरूकता अभियानों के लिए सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल और लाभ उठाने से लेकर जमीनी स्तर पर बदलावों को लागू करने तक, यह पुस्तक प्रधान मंत्री मोदी द्वारा अपनाए गए बहुमुखी दृष्टिकोण का समग्र दृष्टिकोण को पेश करती है.

इस किताब को लेकर लेखक विस्तार से बताते हैं कि कैसे प्रधान मंत्री की पहल ने आपदा प्रबंधन के अलग-अलग पहलुओं को प्रभावित किया है, जो उनकी एक व्यापक रणनीति को दर्शाता है, जो आपदाओं पर तत्काल प्रतिक्रिया से परे एक बड़ा कदम है.

Tags: Gujarat BJP, Gujarat CM, Narendra modi, Narendra Modi Govt

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मलिहाबाद तहसील प्रशासन के अधिकारियों के आदेश उनके ही कर्मचारी नहीं मानते एवं प्रशासन द्वारा लगातार आश्वासन दिया गया एवं संगठन के प्रतिनिधि मंडल से बैठक कर समय पर समय दिया गया लेकिन क्षेत्र एवं किसान की समस्याओं का निस्तारण नहीं किया

आज दिव्यांग विकास सोसाईटी के द्वारा विकासखंड मलिहाबाद में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया जिसमें ब्लाक परिसर के गेट में दिव्यांग विकास सोसाईटी के द्वारा ताला बंद कर विरोध प्रदर्शन जताया गया जिसमें विकासखंड अधिकारी ने आश्वासन दिया कि जो भी दिव्यांगों की समस्याएं हैं

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मलिहाबाद के मुंशी खेड़ा गांव में जनता त्रस्त सफाई कर्मी मस्त खुलेआम सरकार की उड़ाई जा रही ध्वजियां  ग्राम मुंशी खेड़ा में जनता त्रस्त सफाई कर्मी मस्त खुलेआम सरकार की उड़ाई जा रही ध्वजियां सफाई कर्मचारियों की लापरवाही से गांव की गलियों से गंदगी फैली हुई है नाली का निर्माण न होने से घरों का गंदा पानी सड़कों पर भर रहा है ग्राम प्रधान की लापरवाही से उड़ाई जा रही स्वच्छ मिशन की ध्वजियां ।

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