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डॉक्टर डेथ के नाम से कुख्यात देवेंद्र शर्मा राजस्थान के दौसा से गिरफ्तार। आश्रम में पुजारी बनकर रह रहा था। साल 1994 से 2004 के बीच 125 लोगों की गलत तरह से किडनी ट्रांसप्लांट कराई। | भियान के अवसर पर की गई जिला संगोष्ठी हमीरपुर आज भारतीय जनता पार्टी जिला कार्यालय हमीरपुर में अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी वर्ष अभियान के अवसर पर जिला संगोष्ठी का आयोजन किया गया | परमलाल सेवा समिति भिलावां हमीरपुर द्वारा आयोजित हुई संगोष्ठी एक राष्ट्र एक चुनाव का विधानसभा सम्मेलन हुआ संपन्न मौदहा आज मौदहा के पांडव गेस्ट हाउस में की जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के आदेश अनुसार परमलाल सेवा समिति भिलावा हमीरपुर द्वारा आयोजित एक राष्ट्र एक चुनाव का विधानसभा सम्मेलन आयोजित किया गया | “गौशाला नहीं, श्मशान है कुटरा की गौशाला! भूख से तड़पती गायें, खेतों में बिखरी हड्डियों की फसल – कब जागेगा प्रशासन?” कालपी (जालौन) – “गौमाता” की जय-जयकार करने वाला तंत्र आज अपने असली चेहरे के साथ बेनकाब हो चुका है। जनपद जालौन के महेवा ब्लॉक अंतर्गत कुटरा गौशाला इस वक्त चर्चा में है, लेकिन सेवा-संरक्षण की वजह से नहीं – बल्कि दरिंदगी, लापरवाही और अमानवीयता की वजह से! रिपोर्ट अत्रि यादव | लखनऊ/ मलिहाबाद तहसील के पास की मार्केट की एक दुकान में इलेक्ट्रिक वेल्डिंग गैस का कार्य अवैध रूप से चल रहा है किसी भी वक़्त कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है | तहसील के आस पास तहसील से सम्बंधित कार्य किये जाते हैं | इन्ही दुकानों के बीच ग्राहक सेवा केंद्र की दुकान की आढ़ में इलेक्ट्रिक वेल्डिंग का कार्य भी किया जाता है |रिपोर्ट अशोक मौर्य मलिहाबाद | भारतीय किसान श्रमिक जनशक्ति यूनियन की मासिक बैठक गन्ना दफ्तर में की गई जिस में मुख्य अतिथि वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रभारी दिनेश कुमार यादव व राष्ट्रीय महासचिव रामलखन रावत जी की उपस्थिति में सम्पन्न हुई |
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क्या अशोक गहलोत ही बने राजस्थान में हार की वजह? कांग्रेस ने किसके सिर फोड़ा चुनावी शिकस्त का ठीकरा?

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नई दिल्ली. राजस्थान विधानसभा चुनाव में हार पर तीन घंटे से अधिक समय तक चले आत्ममंथन के बाद कांग्रेस के निराशाजनक हालात से पार्टी में कोई बड़ा बदलाव नहीं हो सकता है. राज्य हर पांच साल में सत्ता के लिए विपक्ष को चुनने की अपनी ढुलमुल प्रकृति पर कायम रहा, लेकिन कांग्रेस के दिल्ली नेतृत्व को लगता है कि राज्य में भाजपा के अपने आंतरिक मुद्दों को देखते हुए उसकी जीत संभव थी. बेशक, अब बड़ा मुद्दा यह है कि 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस राजस्थान में कैसा प्रदर्शन करती है. राज्य में निचले सदन में 25 सीटें हैं, जिनमें से वर्तमान में भाजपा के पास 24 हैं. शेष पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) का कब्जा है.

2018 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत के बाद, अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया जिससे सचिन पायलट को बहुत निराशा हुई. उस समय गांधी परिवार को लगा कि गहलोत 2019 के लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन सुनिश्चित कर सकते हैं, लेकिन कांग्रेस राज्य में शून्य पर आउट हो गई. यहां तक ​​कि अशोक गहलोत के बेटे वैभव गेहलोत भी जोधपुर के पारिवारिक चुनावी मैदान से हार गए.

इसके बाद से ही गहलोत और पायलट के बीच रिश्तों में खटास आ गई है. मामला तब और बिगड़ गया जब पायलट के तथाकथित विद्रोह के कारण तीखी नोकझोंक हुई. कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी द्वारा संघर्ष विराम कराने की कोशिशों के बावजूद, चुनाव प्रचार के दौरान यह स्पष्ट था कि गहलोत और पायलट इस हद तक अलग हो गए थे कि वापसी संभव नहीं थी.

एक समय पर, सत्ता विरोधी लहर से सावधान होकर, कई विधायकों ने राज्य इकाई के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को यह तय करने के लिए लिखा था कि पायलट उनके लिए प्रचार करें. सूत्रों का कहना है कि ये बातें शनिवार को दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) मुख्यालय में खड़गे द्वारा बुलाई गई समीक्षा बैठक में सामने आईं, जहां राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे.

सूत्रों ने कहा कि वहां उपस्थित लगभग सभी लोगों ने अनुमान लगाया कि मौजूदा विधायकों को बदला जाना चाहिए था, कुछ ने तो गहलोत की ओर देखा और कहा, “हमें नहीं पता कि ऐसा क्यों नहीं हुआ.” अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि नेताओं ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिलाया कि अभियान एकतरफा था. एक सूत्र ने राहुल गांधी के हवाले से कहा, “ऐसा लगता है कि यह सब पोस्टर और होर्डिंग्स के बारे में है.” बताया जाता है कि खड़गे भी इस बात से सहमत थे कि अभियान व्यक्ति-केंद्रित लग रहा है.

चुनावों के दौरान असंतोष की सुगबुगाहट थी कि अभियान पूरी तरह से अशोक गहलोत के बारे में था और एक छोटे समूह ने अभियान का रोस्टर तय किया था. गहलोत के स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर रहे लोकेश शर्मा, जिन्होंने निवर्तमान मुख्यमंत्री के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं, ने न्यूज़18 को बताया था कि किसी ने भी सीएम से परे नहीं देखा और इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा.

शनिवार को हुई बैठक में आमूलचूल बदलाव का सुझाव दिया गया. आने वाले नजदीकी समय में, मुख्य प्रश्न जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है: विपक्ष का नेता और राज्य इकाई का प्रमुख कौन होगा; क्या पायलट को वापस लाया जाएगा; और क्या गहलोत नियंत्रण छोड़ देंगे?

Tags: Ashok gehlot, BJP, Congress, Mallikarjun kharge

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