बेंगलुरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान पर लगे सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) ने पराबैंगनी तरंग दैर्ध्य के निकट सूर्य की पहली पूर्ण-डिस्क तस्वीरों को कैप्चर किया है. शुक्रवार को घोषित यह उल्लेखनीय उपलब्धि सौर अवलोकन और अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.
ये तस्वीरें, जो 200 से 400 नैनोमीटर तक की तरंग दैर्ध्य रेंज को कवर करती हैं, सूर्य के फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल) और क्रोमोस्फेयर के बारे में अभूतपूर्व जानकारी प्रदान करती हैं. सूर्य की दृश्यमान ‘सतह’ फोटोस्फेयर कहलाती है, जबकि और इसके ठीक ऊपर की पारदर्शी परत को क्रोमोस्फेयर कहा जाता है.
सूरज की ये परतें विभिन्न सौर घटनाओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिनमें सनस्पॉट और फ्लेयर्स शामिल हैं, जो अंतरिक्ष के मौसम और पृथ्वी की जलवायु पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं. आदित्य-एल1 को 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारतीय रॉकेट, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-एक्सएल (पीएसएलवी-एक्सएल) के जरिए निम्न पृथ्वी कक्षा (एलईओ) में स्थापित किया गया था.
Aditya-L1 Mission:
The SUIT payload captures full-disk images of the Sun in near ultraviolet wavelengthsThe images include the first-ever full-disk representations of the Sun in wavelengths ranging from 200 to 400 nm.
They provide pioneering insights into the intricate details… pic.twitter.com/YBAYJ3YkUy
— ISRO (@isro) December 8, 2023
लॉन्च से एल1 तक की कुल यात्रा में आदित्य-एल1 को लगभग चार महीने लगेंगे और पृथ्वी से दूरी लगभग 1.5 मिलियन किमी होगी. इसरो के अनुसार, ‘आदित्य-एल1’ सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है. यह पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास एक प्रभामंडल से सूर्य का अध्ययन कर रही है.
इसरो ने एक बयान में कहा है कि आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एएसपीईएक्स) में दो अत्याधुनिक उपकरण सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर (एसडब्ल्यूआईएस) और सुप्राथर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर (एसटीईपीएस) शामिल हैं. एसटीईपीएस उपकरण 10 सितंबर, 2023 को शुरू किया गया.
एसडब्ल्यूआईएस उपकरण दो नवंबर, 2023 को सक्रिय हुआ था और इसने बेहतरीन प्रदर्शन किया है. इसरो के अनुसार उपकरण ने सौर पवन आयन, मुख्य रूप से प्रोटॉन और अल्फा कणों को सफलतापूर्वक मापा है.
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FIRST PUBLISHED : December 8, 2023, 19:56 IST
