मकराना का मार्बल एक बार फिर पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है, कारण यह है कि मकराना के मार्बल का उपयोग अयोध्या में बन रहे भगवान श्रीराम के मंदिर में हो रहा है. श्रीराम मंदिर के गर्भगृह की आसन शिला मकराना के मार्बल से बनी है, इस पर श्रीराम विराजेंगे. इस रिपोर्ट में आपके साथ मकराना के मार्बल से जुड़े इतिहास, रोजगार, क्वालिटी सहित अन्य चीजों के बारे में आपको बता रहे हैं. मकराना के इस मार्बल को संगरमरमर भी कहा जाता है.
758 खदानें, करीब एक लाख को रोजगार
मकराना में मार्बल खानें 758 हैं जिनमें 12 लाख टन सालाना उत्पादन है. भूगर्भ विशेषज्ञों के अनुसार अब भी खानों में 21 करोड़ टन मार्बल मौजूद है ,जिसे वर्तमान में मौजूद संसाधनों से निकाले तो 150 साल में भी मार्बल खत्म नहीं होगा. एक लाख लोगों को यहां प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है तथा 7000 मार्बल गोदाम, 600 चिराई मशीनें, 80 कैल्शियम पाउडर प्लांट है जबकि 80 हजार श्रमिक नियोजित हैं.
नए बने डीडवाना जिले मॆं आता है मकराना शहर
मकराना जो कि उपखंड मुख्यालय है और एक छोटा शहर है, यह वर्तमान में डीडवाना जिले के क्षेत्र में आता है लेकिन कुछ समय यह नागौर की एक विधानसभा क्षेत्र व तहसील थी, मकराना का जिक्र होते ही सबसे पहले सफेद मार्बल का जिक्र होता है लेकिन यहां पर मार्बल से तरह तरह के उत्पाद बनाऐ जाते है. ऐसे ही घरों मे भगवान के मंदिर को हाथों व मशीनों की सहायता से मंदिर बनाऐ जाते है। अब तो अयोध्या में बन रहे मंदिर मॆं भी इसी मार्बल का उपयोग हो रहा है.
मकान के फर्श से लेकर मूर्ति तक बनती है मार्बल से
मकराना का मार्बल विश्व प्रसिद्ध है, इस बात को लेकर कोई संशय नही है. मार्बल से कई प्रकार के उत्पाद बनाऐ जाते है, जिसमें घरेलू सामान से लेकर हर प्रकार के आईट बना जाते हैं. मकराना के मार्बल को मकान निर्माण में फर्श सेे लेकर भगवान की मूर्ति बनाने मे भी काम में लिया जाता है.
मकराना के मार्बल का खदान से लेकर निर्माण तक का यह रहता है सफर-
1-खदान से पत्थर को निकालकर उसे ब्लॉक के आधार पर क्रेशर मशीन के आधार पर काटा जाता है.
2-पत्थर को काटने पर उस पर मशीन व हाथ के माध्यम से उस पर जो आईटम बनाना हो उसकी कच्ची चित्रकारी की जाती है.
3-कटे हुए पत्थर पर कच्ची डिजाइन देकर उसे मशीन तथा ग्रेडर व हाथ के माध्यम से उस डिजाइन के अनुसार मार्बल के पत्थर को डाला जाता है.
4-डिजाइन पर पत्थर को डालने के बाद मार्बल को उस पर हाथो व मशीनो से घिसाई की जाती है ताकि उस पत्थर पर चमक आ सके.
5-अलग-अलग पत्थरों पर कलाकारी और घिसाई करने के बाद मार्बल से साइज के अनुसार, उस आइटम को तैयार किया जाता है. ऐसे कार्यो में सबसे अधिक काम छोटे मंदिर बनाने का होता है, जिन्हें लोग घरों मॆं स्थापित करते हैं.
6- छोटे मंदिर या दूसरा मार्बल आइटम बनाने में पांच से छह कारीगरों की मेहनत लगती है. वहीं बनने वाला आइटम ग्राहक द्वारा तय साइज में बनाया जाता है. कारीगरों की संख्या व समय इसी पर निर्भर रहता है. उदाहरण के तौर पर एक मार्बल के छोटे मंदिर को पूर्णत बनाने के बाद मंदिर पर रंगो से कलाकारी की जाती है तथा उसमे गोल्ड, लाल तथा अन्य रंग भी प्रयुक्त किे जाते है वही मंदिर को और सुन्दर बनाने को लिए ॐ तथा स्वातिक व मंदिर के फर्श व पाटियों पर तरह तरह की कलाकारी की जाती है.
मकराना में बनते है 4000 से लेकर 1 करोड़ के मंदिर
मार्बल फैक्ट्री के मालिक फरहान रान्दड़ बताते है कि यदि छोटा से छोटा मंदिर ग्राहक खरीदता है, तो कीमत 4000 रुपए होती है तथा ग्राहक के साइज के अनुसार, तथा पत्थर की क्वालिटी के अनुसार, उसकी कीमत भी बढ़ जाती है. वहीं यहां पर 1 करोड़ रुपये तक का मंदिर बनाया जाता है.
ताजमहल में ऐसे हुआ था मकराना के मार्बल का उपयोग-
जानकार लोग बताते हैं कि शाहजहां ताजमहल के लिए चूने की खोज में निकला था, लेकिन उसे मकराना का संगमरमर मिल गया. मुगल बादशाह शाहजहां ने अपने प्यार मुमताज के लिए जब ताजमहल बनवाने की सोची, तब कहते हैं कि तब चूने की खोज के लिए शाहजहां ने अपने सैनिकों को भेजा. तब उनकी मुलाकात यहां पहाड़ खां से हुई और सन 1638 के आसपास मकराना के मार्बल की खोज हुई, जिसे बाद में मकराना के मार्बल को हाथियों पर आगरा ले जाया गया और ताजमहल इसी सफेद संगमरमर से बना.
अपनी क्वालिटी के लिए है प्रसिद्ध-
मकराना में पाए जाने वाला संगमरमर खास इसलिए भी है क्योंकि इसमें उच्च गुणवत्ता वाला कैल्शियम पाया जाता है, जिससे कि यह मार्बल अन्य मार्बल की तुलना में बेहद खास बन जाता है. साथ ही मकराना का संगमरमर किसी भी भौगोलिक दशा में रंग परिवर्तन नहीं करता है. यह मकराना संगमरमर को विशेषता प्रदान करता है, क्योंकि राजसमंद किशनगढ़ व अन्य मामलों में आयरन की मात्रा पाई जाती है.
कौन-कौन से हैं रंग वह कैसे करें पहचान-
मार्बल व्यापारी हाफिज रियाज गैसावत ने बताया के मार्बल के रंग चार प्रकार के होते हैं.
1- शुद्ध सफेद
2- धारियों वाला सफेद
3- अल्फेटा
4- हल्का गुलाबी
संगमरमर की पहचान करने के लिए व्यापारी ने बताया की मकराना के मार्बल में 98% लगभग कैल्शियम होता है, जबकि मकराना के मार्बल हल्की हल्की काले रंग की बीच में धारियां होती है. इस प्रकार से मकराना के मार्बल के हम पहचान कर सकते हैं.
देश-विदेश में जाता है सफेद संगमरमर-
संगमरमर व्यापारी हाफिज रियाज गैसावत ने बताया मकराना का संगमरमर देश के लगभग सभी राज्यों में जाता है. विश्व में दुबई, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया व सऊदी अरब सहित कई देशों में मकराना के संगमरमर का प्रचलन है , साथ ही विश्व के कई इमारतों में मकराना के संगमरमर का प्रयोग हुआ है.
विश्व की प्रसिद्ध इमारतों में हो चुका है प्रयोग-
मकराना मार्बल विश्व में अपनी सफेदी के लिए प्रसिद्ध है लेकिन विश्व के सात अजूबों में से एक अजूबा ताजमहल में मकराना के मार्बल का सर्वप्रथम प्रयोग किया गया. बाद में बिरला मंदिर, विक्टोरिया भवन व अबू धाबी की शेख जाईद मस्जिद में मकराना का मार्बल का प्रयोग हो चुका है, वर्तमान में राम मंदिर के निर्माण में मकराना का मार्बल ले जाया गया.
अलग-अलग प्रकार की बनायी जाती है सामग्री-
मार्बल व्यापारी शिवराम जी ने बताया कि मार्बल की मूर्ति बनाने का अलावा यहां पर घरों के लिए झरोखे, पिलर, मकान में फर्श निर्माण, मंदिर के लिए गोल गुंबद , साथ ही छोटे-छोटे मंदिर घरों में साज सजावट के लिए गमले, छोटे-छोटे हाथी, घोड़े , मार्बल की घड़ियां जैसे आईटम बनाए जाते हैं. ऐसे में हजारों श्रमिकों से लेकर कारीगरों को रोजगार मिलता है.
विदेशों में प्रसिद्ध है मूर्तियां-
मकराना में बनी सफेद संगमरमर की मूर्तियां देशभर में नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। मकराना से मूर्तियों का एक्सपोर्ट विदेशों में भी किया जाता है. यहां से दुबई, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड समेत कई बड़े देशों में मूर्तियां व मार्बल के बनाएंगे वस्तुएं विदेशों में भी भेजी जाती हैं.
अयोध्या के श्रीराम मंदिर की वजह से चर्चा में हैं मार्बल (संगमरमर)श्रीराम मंदिर के गर्भगृह की आसन शिला मकराना के मार्बल से बनी है, इस पर श्रीराम विराजेंगे. श्रीराम मंदिर के फर्श पर मकराना का सफेद मार्बल लग रहा है. मंदिर के गर्भगृह में 13,300 घन फीट और फर्श मंं 95,300 वर्ग फीट मार्बल का उपयोग हुआ है. फर्श की मजबूती के सफेद मार्बल स्लैब 35 एमएम मोटाई का लगाया है. बिल्कुल सफेद संगमरमर से निर्मित आसन शिला के पूरे पेडेस्टल का नाप 6 फीट चार इंच गुणा 8 फीट डेढ़ इंच और ऊंचाई 3 फीट साढे चार इंच है.
.
Tags: Ayodhya ram mandir
FIRST PUBLISHED : December 8, 2023, 13:16 IST
